स्वाथ्य के लिए गुणकारी कैमोमाइल-आप कैसे पायें और किसान कैसे उगायें

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आपको नींद नहीं अती, तनाव में रहते हैं, रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है, शुगर या दिल के मरीज हैं, जुकाम की समस्या रहती है, मांस पेशियों में ऐठन और माहवारी के दौरान दर्द रहता है, पेट में दर्द रहता है, मुहासों से परेशान हैं, चेहरे में झुर्रियां पढने लगी हैं तो यह आलेख आपके लिए ही है। आपको इसे आँखरी शब्द तक पढ़ना चाहिए।

इस आलेख में हम आपको एक ऐसी हर्ब (जड़ी-बूटी) के बारे में बतायेंगे, जिसका प्रयोग उक्त समस्याओं के अतिरिक्त भी कई और जबरदस्त स्वास्थ्य लाभ देता है। हम बात करेंगे कैमोमाइल की और जानेंगे कैमोमाइल क्या है? इसका स्तेमाल कैसे किया जाता है? इसके क्या- क्या स्वास्थ्य लाभ हैं? किसान या जो उद्यमि कैमोमाइल की खेती करना चाहते हैं उन्हें इसके लिए क्या करना होगा आदि और भी बहुत कुछ। हम दावे से कहते हैं कि आप कोई भी क्यों न हों आपके लिए यह आलेख काम की चीज है।

कैमोमाइल क्या है?

अरोमाथेंरेपी, कास्मैंटिक व दवाओं के निर्माण से लेकर विभिन्न स्वास्थ्य वर्धक पेय बनाने तक स्मेमाल होने वाला कैमोमाइल ‘एस्टेरसी’ (Asteraceae) परिवार का पौधा है। इसे एक आराम देने वाली जड़ी-बूटी के रूप में जाना जाता है। इसकी खेती भारत के कई हिस्सों से लेकर दुनियाँ भर में की जाती है। कैमोमाइल शब्द ग्रीक भाषा के शब्द ‘कैमोमेला’ या ‘ग्राउंड ऐप्पल’ से आया है जिसका अर्थ ताजागी देने वाले सेव की खुशबू जैसा है। स्पेन में कैमोमाइल का स्तेमाल एक खास प्रकार के मांटजिला (Mantazilla) या लिटिल ऐपल (Little Apple) के रूप में किया जाता है। कैमोमाइल की लाजवाब खुसबू और दिमाग को आराम देने का गुण कैमोमाइल को विशिष्टता प्रदान करता है। इसका प्रयोग दुनियाँ भर की कई संस्कृतियों एवं महाद्वीपों तक विस्तारित है।

प्रचीन मिस्र वासियों ने कैमोलाइल अपने ईश्वर को समर्पित किया था। क्योंकि उनका मानना था कि यह बुखार को ठीक करता है। स्पैंनिस लोग ‘शेरी’ नामक पेय बनाने में कैमोमाइल का स्तेमाल स्वाद बढ़ाने वाले मुख्या एजेंट के रूप में करते हैं। मध्य युग में शराब और बियर बनाने के दौरान कैमोमाइल का प्रयोग एक कढ़वाहट लाने वाले प्रमुख एजेंट के रूप में किया जाता था। मध्य युग के दौरान ही भिक्षुओं ने कैमोमाइल का प्रयोग पारम्परिक हर्बल उपचार के लिए कैमोमाइल की खेती प्रारंभ की थी। इस दौरान उन्होंने पाया कि कैमोमाइल को अन्य प्रजाति के रोग लगे पौधों के पास लगाने से इनमें तेजी से रोग नियंत्रण के साथ ही पौधें स्वस्थ्य हो रहे हैं। बाद में पता चला कि कैमोमाइल के फूलों से निकलने वाली सेव की जैसी गंध पौधों को हानि पहुँचाने वाले कीटों को अन्य पौधों के साथ ही स्वयं को बचाये रखने में भी सक्षम है।

कैमोमाइल का प्रयोग कैसे किया जाता हैः

भारत में कैमोमाइल के फूल का प्रयोग चाय के रूप में किया जाता है। जिसमें इसके छाया में सुखायें गये फूल का प्रयोग प्रमुख है। अन्य प्रकार की जड़ी-बूटी से बनाई जाने वाली हर्बल टी में भी कैमोमाइल का प्रयोग एक प्रमुख घटक के रूप में किया जाता है। कैमौमाइल का एरोमा न केवल इस चाय को एक विशिष्टता प्रदान करता है वरन हर्बल चाय को प्रभावकारी भी बनाता है।

कैमोमाइल के ताजा फूलों से बनने वाली चाय का तो क्या कहना,  इसकी हर एक घूट तनाव व थकान को मिटा देने वाली होती है। कैमोमाइल के 5 से 10 ताजा या सूखे फूलों से एक कप लाजवाब और खुशबूदार चाय बनाई जा सकती है।

आप कैमोमाइल चाय कहाँ से खरीद सकते हैं:

आप ऐसे तो कई स्थानों से कैमोमाइल चाय खरीद कर प्रयोग कर सकते हैं। लेकिन हम आपको इसी वेबसाइट के माध्यम से सीधे उत्तराखण्ड के ग्रामीण क्षेत्रों में उगाई जाने वाली बेहतरीन गुणवत्ता की कैमोमाइल चाय उपलब्ध कराते हैं। जिसे बेहतरीन शुद्वता के साथ तैयार किया जाता है। यह बहुत ही किफायती दरों में उपलब्ध है। अब आप भारत के किसी भी राज्य में अपने घर में रहकर ऑनलाइन कैमोमाइल चाय मंगा सकते हैं। कैमोमाइल चाय को ऑनलाइन ऑडर करने के लिए यहाँ क्लिक करें।

एक स्वस्थ्य वयक्ति एक दिन में कितनी बार कैमोमाइल की चाय पी सकता है:

चूंकि कैमोमाइल एक औषधीय हर्ब है इसलिए इसका प्रयोग भी एक औषधि की तरह ही करना फायदेमंद होता है। बहुत अधिक मात्रा में प्रयोग शरीर के लिए नुकसानदायक भी हो सकता है। इसलिए एक व्यक्ति को दिन में 2 या 3 बार ही कैमोमाइल चाय के प्रयोग की सलाह दी जाती है। प्रातः काल उठते वक्त एवं रात में सोने से 20 मिनट पहले कैमोमाइल चाय का प्रयोग करना लाभदाय माना जाता है।

कैमोमाइल चाय के लाभ या फायदेः

दुनियाँ भर में कैमोमाइल पर हुये शोधों में इसके प्रयोग से होने वाले फायदों का वर्णन मिलता है। जिन्हें प्रयोग की विभिन्न विधियों द्वारा प्राप्त किया जाता है। इस आलेख को लिखने का हमारा उद्श्य यह है कि हम कैमोमाइल के स्तेमान की सबसे आसाना, सबसे फायदेमंद और किफायती विधि से आपको परिचित करायें जिससे आपको अधिक से अधिक फायदा हो और यह आपकी पहुँच में भी रहे। इसमें सबसे प्रचलित और आसान विधि है चाय के रूप में कैमोमाइल का प्रयोग करना। चलिए आईयें जानते हैं कैमोमाइल चाय के प्रयोग से होने वाले प्रमुख लाभों के बारे में-

मासिक धर्म के दौरान होने वाले दर्द को कम करने में सहायकः

दुनियाँ भर में किये गये कयी अध्ययनों में यह पाया गया कि कैमोमाइल चाय का प्रयोग मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को होने वाले दर्द और ऐठन से राहत प्रदान करता है। उदाहरण के लिए 2010 के एक अध्ययन में पाया गया कि, एक माह तक कैमोमाइल चाय का सेवन करने से मासिक धर्म में होने वाली ऐठन का दर्द कम हो सकता है। जिसे महिलाओं ने इस समस्या को कम करने में प्रभावकारी बताया।

कैमोमाइल चाय का प्रयोग मधुमेह अर्थात शुगर के इलाज व रक्त शर्करा को कम करने में मददगार हैः

कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि कैमोमाइल चाय का प्रयोग मधुमेह अर्थात शुगर से ग्रसित लोगों में रक्त शर्करा को कम करने में मददगार है। किन्तु अनुसंधान यह नहीं दर्शाता कि कैमोमाइल मधुमेह की दवाओं के लिए एक व्यवहार्य विकल्प है, लेकिल यह मौजूदा उपचारों के लिए एक सहायक पूरक हो सकता है।

शरीर में हड्डीयों के घनत्व को कम होने से बचाता हैः

हमारी उम्र बढ़ने के साथ ही शरीर में हड्डीयों का घनत्व भी कम होने लगता है। इसका प्रभाव पौढ़ता के बढ़ने के साथ ही तेज होता जाता है। चिकित्सकीय भाषा में इस समस्या को ऑस्टियोपोरोसिस कहा जाता है। इसके करण हड्डीयों के टूटने का खतरा बढ़ जाता है। महिलाओं में रजोनिवृत्ति के बाद यह समस्या आम है। माना जाता है कि यह प्रवृत्ति शरीर में पाये जाने वाले एस्ट्रोजेन नामक हारमोन के बढ़ने के कारण हो सकती है।

वर्ष 2004 के एक अध्ययन में पाया गया कि कैमोमाइल चाय में एंटी-एस्ट्रोजेनिक तत्व पाये जाते हैं। जिससे हड्डीयों के घनत्व को बरकारार रखा जा सकता है। लेकिन अध्ययन में यह भी बताया गया कि इसे प्रमाणिक करने के लिए और शोध की आवश्यकता है।

कैमोमाइल चाय शरीर में सूजन को कम करने में सहायक:

सूजन संक्रमण से लड़ने के लिए एक प्रतिरक्षा प्रणाली की प्रतिक्रिया है। कैमोमाइल चाय में रासायनिक यौगिक होते हैं जो सूजन को कम कर सकते हैं। हालांकि, दीर्घकालिक सूजन स्वास्थ्य समस्याओं की एक विस्तृत श्रृंखला से जुड़ी हुई है, जिसमें बवासीर, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल दर्द, गठिया, ऑटोइम्यून विकार और यहां तक ​​कि अवसाद भी शामिल है।

कैंसर का इलाज एवं रोकथाम में सहायकः

कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि कैमोमाइल चाय कैंसर कोशिकाओं को लक्षित करने में मददगार हो सकती है या यहाँ तक कि ऐसी कोशिकाओं को विकसित होने से भी रोक सकती है। हालांकि अब तक का शोध इस विषय में प्रमाणिकता साबित नहीं करता तथा वैज्ञानिकों का कहना है कि कैमोमाइल को कैंसर विरोधि दवा के रूप में साबित करने के लिए और अधिक कार्य करने की आवश्यकता है। लेकिन फिर भी इसका प्रयोग फायदेमंद ही कहा जा सकता है।

अनिद्र एवं शरीर को आराम देने में सहायकः

कैमोमाइल चाय को प्रयोग के बाद अच्छी नींद में सहायक माना जाता है। यह भी देखने को मिला कि कैमोमाइल चाय लोगों को आराम पहुँचाने में सहायक है। वर्तमान साक्ष्यों की एक समीक्षा में 12 में से 10 हृदय रोगियों को कैमोमाइल चाय का सेवन करने के तुरंत बाद आरामदायक नींद आ जाती है। इस प्रकार के नैदानिक अध्ययनों को करने वाले अन्य अध्ययनों से यह भी पता चलता है कि कैमोमाइल चाय लोगों को आराम करने में मदद कर सकती है।

सर्दी के लक्षणों का इलाज करने में सहायकः

कुछ प्रमाणों एवं अध्ययनों से पता चलता है कि कैमोमाइल वाले गर्म पानी की भाप लेने से सर्दी के लक्षणों में लाभ मिल सकता है। लेकिन वैज्ञानिक रूप से यह अभी तक सिद्ध नहीं हुआ है।

कैमोमाइल चाय का प्रयोग करने से किन लोगों को बचना चाहिएः

निचे दिये गये कुछ विशेष परिस्थिति वाले लोगों को कैमोमाइल चाय के प्रयोग से बचने की सलाह दी जाती है अथवा प्रयोग से पूर्व अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए-

  • वह लोग जिन्हें परागण एवं फूलों के पराग से गंभीर एलर्जी हो ऐसे लोगों को कैमोमाइल चाय के प्रयोग से बचना चाहिए।
  • शिशुओं और बहुत छोटे बच्चों को कैमोमाइल चाय के प्रयोग से बचना चाहिए। वह बच्चे जिन्हें डॉक्टर द्वारा शहद का प्रयोग न करने की सलाह दी गयी हो उन्हें कैमोमाइल चाय का प्रयोग भी नहीं करना चाहिए।
  • यदि कोई किसी बिमारी के लिए दवायें ले रहा हो तो ऐसे लोगों को भी कैमोमाइल चाय के प्रयोग से पहले डॉक्टर की सलाह लेने का सुझाव दिया जाता है।
  • कुछ ममलों में ऐसी गर्भवती महिलाओं को कैमोमाइल चाय का प्रयोग न करने की सलाह दी जाती है जिन्हें कभी गर्भपात हुआ है।

अगर आप कैमोमाइल की खेती करना चाहते हैं तो कैसे करें:

  • कैमोमाइल एक औषधिय पौधा है जिसका प्रयोग विभिन्न प्रकार के उत्पाद बनाने में किया जाता है। जिसमें कैमोमाइल के फूल का प्रयोग किया जाता है। इसकी खेती करने के लिए आपको बहुत मेहनत की आवश्यकता नहीं पड़ती है। कैमोमाइल को बंजर एवं खाली पढ़ी कृषि भूमि में उगाया जा सकता है।
  • कैमोमाइल की नर्सरी जनवरी माह में डाली जाती है। जिससे फरवरी माह में पौध निकाल कर आवश्यकतानुसार लगाये जा सकते हैं। अच्छी देख-भाल एवं सही तकनीक व विधि से कैमोमाइल लगाने पर यह काफी बेहतर उत्पादन दे सकता है।
  • कुछ खास परिस्थितियों में कैमोमाइल का उत्पादन वर्ष भर भी लिया जा सकता है, जिसके लिए समय समय पर नर्सरी एवं पौध रोपड़ आवश्यक है।
  • एक बार लगाये गये पौधे से लगभग 7 से 10 बार फूल तोड़े जा सकते हैं।

अधिक समय तक कैमोमाइल का प्रयोग कैसे करें:

  • कैमोमाइल के पौधे से फूलों को तोड़ने के बाद इन्हें सेड ड्राई किया जाना चाहिए। जिससे वह ठीक से सूख जायें। कैमोमाइल के फूलों को सीधे सूरज की रोशनी में नहीं सुखाना चाहिए, इससें कैमोमाइल के औषधिय गुण नष्ट हो जाते हैं।
  • भली प्रकार सूखे फूलों को एयर टाईट कंटेनरों में स्टोर किया जा सकता है।
  • वर्तमान में कैमोमाइल फूल का खुदरा बाजार मूल्य लगभग 1000 रूपया प्रति किलोग्राम तक है। किन्तु किसान इसे बिना सुखाये 50 से 100 रूपया प्रति किलोग्राम तक ग्रेड के अनुसार सीधे बेच सकते हैं।

किसान एवं उद्यमि कैमोमाइल उत्पादन का तकनीकी प्रक्षिक्षण कहाँ से प्राप्त कर सकते हैं:

ऐसे तो देश भर में कई कृषि विश्व विद्यायल एवं जड़ी बूटी शोध संस्थान इसकी प्रशिक्षण प्रदान करते हैं। किन्तु इसके लिए ट्रेनी को अपना काफी समय एवं धन व्यय करना होता है। किन्तु उत्तराखण्ड के नैनीताल में स्थित “आलख स्वायत्त सहकारिता” (Association for Livelihood Actions in Kumaun Himalayas)  जड़ी-बूटी उत्पादन, मूल्य वृद्धि एवं विपणन बिषय में एक सप्ताह का प्रयोगात्मक प्रशिक्षण उपलब्ध कराती है। इसके अतिरिक्त ऑन साइड तकनीकी सहायता के साथ ही उच्च गुणवत्ता का प्लांटिंग मैटेरियल भी उपलब्ध कराती है। आप व्यक्तिगत रूप में सीधे इस कोर्स से जुड़ सकते हैं। “आलख स्वायत्त सहकारिता” की वेबसाइट देखने व अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक कीजिए।

आलेख:

baatpahaadki.com

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