ब्लू ऑयस्टर मशरूम की खेती

किसान भाईयों नमस्कार!
इस आलेख में हम आपको एक और खास प्रकार के मशरूम को उगाने की जानकारी प्रदान कर रहे हैं। मशरूम की इस प्रजाती को आम भाषा में ब्लू ऑयस्टर मशरूम या एल्म ऑयस्टर के नाम से जाना जाता है।

हमें लगता है कि आपको ब्लू ऑयस्टर मशरूम के बारे में दी गयी यह जानकारी पसंद आयेगी, तो आईऐं जानते हैं कि हमारे किसान भाई ब्लू ऑयस्टर मशरूम की खेती कैसे करें?

ब्लू ऑयस्टर मशरूम की विशेषता

ब्लू ऑयस्टर का वैज्ञानिक नाम हाइपसीजियस अल्मसरियस है। यह दिखने में सीप मशरूम की तरह होता है, लेकिन रूप रंग और जैविक दक्षता में उससे भिन्न होता है।

ब्लू ऑयस्टर मशरूम की एक खास प्रजाति है। इसमें बहुत बड़े फलने वाले अंग होते हैं। इसके नीले रंग के पिनहेड्स पूर्ण विकसित होने पर हल्के सफेद हो जाते हैं। मशरूम की यह प्रजाति स्वादिष्ट होने के साथ ही उच्च उपज देने वाली भी होती है।

आकर्षक रंग, आकार और उत्कृष्ट स्वाद से भरपूर ब्लू ऑयस्टर मशरूम

मशरूम की यह किस्म आकर्षक रंग, आकार और उत्कृष्ट स्वाद के साथ ही मांसल भी होती है। इसकी पैदावार, स्पोरोफोर आकार, स्वाद और बनावट दूसरे व्यावसायिक सीप मशरूम की तुलना में अपेक्षाकृत जयादा बेहतर होता है।

ब्लू ऑयस्टर मशरूम में पोषक तत्व

क्र.सं. पोषक तत्व पोषक तत्व की मात्रा
1. कच्चा प्रोटीन 23.2%
2. कार्बोहाइड्रेट 56.1%
3. वसा 1.9%
4. रेशा 9.1%
शेष अन्य तत्व

आजकल डॉक्टरों द्वारा पेट और आंतों के रोगों से जूझ रहे रोगियों को ब्लू ऑयस्टर मशरूम खाने की सलाह दी जाती है।

कम लागत अधिक मुनाफा छोटे और सीमांत किसानों के लिए फायदे का सौदा

ऑयस्टर मशरूम की खेती छोटे और सीमांत किसानों द्वारा भी की जा सकता है। इसे विभिन्न उपजाऊ माध्यमों जैसे सोयाबीन की खोई, गेहूं के भूसे, धान के पुआल, मक्का के डंठल, अरहर, तिल, बाजरा, गन्ने की खोई, सरसों के पुआल, कागज के कचरे, कार्डबोर्ड, लकड़ी के बुरादे और अन्य कृषि अपशिष्टों पर उपलब्धता के आधार पर आसानी से उगाया जा सकता है।

मशरुम की व्यवसायिक खेती

ब्लू ऑयस्टर मशरूम की उत्पादन विधि

सबसे पहले उत्पादन के लिए प्रयुक्त सामग्री जैसे पुआल आदि को छोटे टुकड़ों (2-4 सें.मी. लंबे) में काटा जाता है। अब उसे पानी में भिगो दिया जाता है, ताकि पुआल 75-90 प्रतिशत नमी के स्तर को प्राप्त कर सके। इसके बाद फॉर्मेलीन (0.5 प्रतिशत) और कार्बेन्डाजिम (0.075 प्रतिशत) के घोल से पुआल को उपचारित कर लगभग 18 घण्टा रख दिया जाता है।

लगभग 18 घंटे के बाद पुआल को बाहर निकाल दिया जाता है तथा किसी प्लास्टिक सीट में फैलाकर अथवा साफ तार की जाली पर रखकर अतिरिक्त पानी को निकाल दिया जाता है।

आयस्टर या ढिंगरी मशरूम की उत्पादन विधि

स्पॉनिंग विधि

मशरूम के बीज बुवाई या बिजाई कार्य को स्पॉनिंग कहा जाता है। पॉली बैगों में स्पॉनिंग दो विधियों से की जा सकती है-

  1. बहुपरती (बैगों में परतों लगाकर)
  2. सम्पूर्ण पुवाल में गीले भार के आधार पर 5 प्रतिशत की दर से स्पॉन मिलाकर

बिजाई के बाद क्या करें?

  • बिजाई (स्पानिंग) के लिए पुआल का पी-एच मान 7.0 से 8.0 होना चाहिए।
  • बिजाई (स्पानिंग) के बाद बैगों के मुह को नायलॉन की रस्सी से बांधा दिया जाता है।
  • वेंटिलेशन के लिए प्रत्येक बैग में 1 मि.मी. के आठ से दस छेद किए जाते हैं।
  • स्पॉन बैग (बीज फैले बैग) को मशरूम हाउस में रखना चाहिए।
  • मशरूम हाउस का औसत तापमान 20 से 30 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए।
  • मशरूम हाउस की औसत आर्द्रता 75 से 90 प्रतिशत रखना चाहिए, यह इसकी मायसेलियम वृद्धि के लिए सामान्य व्यावसायिक खेती की शर्तों के लिए अनिवार्य है।

बिजाई के बाद बैग भरना

इस प्रकार लगभग 80 प्रतिशत नमी युक्त पुआल को 18 × 12 या 20 × 16 या 24 × 16 इंच आकार के पॉली-प्रोपलीन बैग में भरा जाता है। इनमें क्रमशः 4, 7 और 9 कि.ग्रा. गीला पुआल भरा जा सकता है। ब्लू ऑयस्टर मशरूम उत्पादन में बैग हटाने के 3-5 दिनों के बाद पिनहेड दिखने की शुरुआत होती है।

ब्लू ऑयस्टर मशरूम का उत्पादन समय

मशरूम का पहला उत्पादन इस्तेमाल किए गए क्रियाधार (Substrate) अर्थात उपयोग किये गये माध्यम जैसे पुआल आदि के प्रकार के आधार पर पिनहेड उपस्थिति के 5-7 दिनों के भीतर प्राप्त किया जाता है।

बटन मशरूम की खेती कैसे करें (सम्पूर्ण जानकारी हिन्दी में)

ब्लू ऑयस्टर मशरूम की फसल तुड़ाई

फसल की तुड़ाई के लिए मशरूम के किनारों को मुड़ने या नीचे की ओर झुकने से ठीक पहले परिपक्व स्पोरोफोर/मशरूम को तोड़ा लिया जाता है। आमतौर मशरूम गुच्छों में दिखाई देते हैं जिसकी तुड़ाई उंगलियों से थोड़ा घुमाकर या खींचकर की जाती है।

क्रियाधार के प्रकार एवं जलवायु परिस्थितियों के अनुसार 8-10 दिनों के अंतराल में एक ही बैग से तीन से पांच बार लगातार फसल प्राप्त की जा सकती है।

ब्लू ऑयस्टर मशरूम का औसत उत्पादन

मशरूम की पहली तुड़ाई में बिजाई से 30-35 दिनों का समय लगता है। प्रति किलोग्राम क्रियाधार से औसतन 700-900 ग्राम ताजे मशरूम का उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। जिससे लगभग 70 से 90 प्रतिशत तक अच्छी गुणवत्ता का उत्पाद प्राप्त होता है।

लेख संदर्भ: आदित्य, आर एस जारियाल, कुमुद जरियाल और जे एन भाटिया. 2021. ब्ल्यू ओएस्टर मशरुम की खेती. आई.सी.ए.आर फल फूल. 42(01): 46-47.

मुख्य लेखक के बारे में:

आदित्य ने ऑयस्टर मशरूम की एक नई प्रजाति यानी ब्लू ऑयस्टर मशरूम (हाइपसीजियस अल्मसरियस) पर शोध किया है। यह शोध उनके प्लांट पैथोलॉजी विषय में एम.एस.सी डिग्री (डॉ यशवंत सिंह परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौनी-173230, सोलन, हिमाचल प्रदेश) के दौरान 2019-21 के दौरान किया गया था, और उनके अध्ययन के शोध निष्कर्ष किसान समुदाय को नई आशा दे सकते हैं क्योंकि ब्लू ऑयस्टर मशरूम, पोषण और औषधीय गुणों से भरपूर, ऑयस्टर मशरूम की अन्य प्रजातियों की तुलना में अधिक उपज देने वाला मशरूम है। इसके अलावा, आदित्य ने कई मूल शोध लेख प्रकाशित किए, 100 से अधिक लोकप्रिय लेख, ई-पुस्तकें, पुस्तक अध्याय और कई बार राष्ट्रीय पुरस्कार और मान्यता प्राप्त की।

तो दोस्तों आपको “ ब्लू ऑयस्टर मशरूम ” के बारे में दी गयी यह जानकारी कैसी लगी हमें कमेंट बॉक्स में लिखकर जरूर बताईये।

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आलेख:

आदित्य

11 thoughts on “ब्लू ऑयस्टर मशरूम की खेती | Blue Oyster Mushroom Cultivation”

  1. Dear Pankaj Bisht Ji.
    You are doing wonderful work for the benefit of farming community. Heartiest congratulations to you and your team

    Regards,
    Aditya
    Office of the Principal Scientific Advisor, Prime Minister Office, Govt. of India.

    Reply
  2. बहुत अच्छा काम किया और भगवान आपका भला करे।

    Reply

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