गर्भावस्था में गर्भवती महिलायें अपनी देख भाल कैसे करें 

साथियों ईश्वर द्वारा प्रत्येक महिला को जन्म देने की शक्ति प्रदान की गयी है। जिससे इस संसार में नई पीढ़ी को जन्म दिया जाता है। प्रत्येक व्यक्ति की चाह होती है कि उसकी आने वाली संतान स्वस्थ्य व तंदुरूस्त हो, इस चाह को पूरा करने तथा भावी पीढ़ी के उज्वल भविष्य हेतु माँ के गर्भकाल से ही माँ व गर्भ में पल रहे बच्चे की देख रेख व जाँच करना बहुत ही महत्वपूर्ण है। इसके लिए गर्भवती महिला व उसके परिवार वालों को निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए।

गर्भावस्था का समय:

गर्भावस्था गर्भधारण के समय से शुरू होती है। यह समयावधि सामान्तः 208 दिनों या 40 सप्ताह या 9 माह 7 दिन की होती है।

गर्भावस्था के लक्षणः

  • मासिक धर्म (माहवारी) का रूक जाना।
  • उल्टी आने का मन करना (जी मिचलाना)
  • बार- बार पेशाब आना (गर्भाशय का आकार बढ़ने से)
  • स्तनों के आकार में वृद्धि व निप्पल का गहरा रंग होना

ऊपर दिये गये लक्षण दिखाई देने पर अपने डाँक्टर, ANM या आशा कार्यकर्ता से सम्पर्क करें व अपने पेशाब की जाँच कराकर गर्भावस्था को सुनिश्चित करें।

गर्भावस्था सुनिश्चित होने के बाद निम्न कदम उठायें:

  • गर्भावस्था का पता चलते ही गर्भवती महिला को ANM, आंगनवाड़ी या स्वास्थ्य केन्द्र में अपना पंजिकरण कराना जरूरी है। जिससे सरकार द्वारा गर्भवती महिला को दी जाने वाली विभिन्न स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ प्राप्त करने में आसानी हो सके।
  • गर्भवती महिला को अपनी अन्तिम माहवारी की तिथि पंजिकरण करवाते समय जरूर बतानी चाहिए जिसके आधार पर प्रसव की संभावित तिथि ज्ञात की जा सके।
  • गर्भवती महिला को गर्भावस्था के दौरान चौथे व पाँचवे माह में एक माह के अंतराल में टिटनेस के दो टीके जरूर लगवाने चाहिए। जिससे माता व गर्भ में पल रहे शिशु को संक्रमण से बचाया जा सके।
  • गर्भवती महिला को गर्भावस्था के दौरान आयरन फोलिक एसिड की 100 गोलियां (प्रतिदिन 1 गोली रात्री में भोजन के पश्चात् पर्याप्त पानी के साथ लें। गोली खाने के बाद चाय ना पीयें।) जरूर खानी चाहिए। इनके प्रयोग से गर्भवती महिला में होने वाली खून की कमी दूर होती है। इन्हें ।छड दीदी या नजदीकी सरकारी स्वास्थ्य केन्द्र से निःशुल्क प्राप्त किया जा सकता है।

गर्भवती महिला को गर्भवस्था के दौरान 4 नियमित जाँचे निम्न समयानुसार जरूर करानी चाहिए:

  • पहली ए.एन.सी. जाँच – पहली माहवारी छूटते ही जितना जल्दी सम्भव हो।
  • दूसरी ए.एन.सी. जाँच – गर्भावस्था के चौथे से छठे महीने में।
  • तीसरी ए.एन.सी. जाँच – गर्भावस्था के सातवें से आठवें महीने में।
  • चौथी ए.एन.सी. जाँच – गर्भावस्था के नवें महीने में।
  • प्रसव पूर्व जाँच के दौरान रक्तचाप (BP), हीमोग्लोविन (Hb), वजन, पेट की जाँच व पेशाब की जाँच अवश्य करानी चाहिए।

गर्भावस्था दौरान ध्यान रखने वाली बातें:

  • संपूर्ण गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिला का वजन 8 से 10 किलोग्राम तक बढ़ना चाहिए। अतः आहार में पौष्टिक तथा पहले से डेढ़ गुना आहार जरूरी है।
  • गर्भावस्था के बढ़ने के साथ- साथ दिन में 4 से 6 बार थोड़ा थोड़ा कर भोजन लेना चाहिए।
  • भोजन में हरी पत्तेदार सब्जियां, दाले, अनाज गेंहू, जौ, मक्का, मडुवा की रोटी, गुड़, दूध, दही, घी, शहद, स्थानीय उपलब्ध फल जैसे नीबू, माल्टा, खुमानी, आडू, सेव आदि का प्रयोग करें। खानपान में किसी भी प्रकार का परहेज ना करें। (गर्भावस्था में खान पान को लेकर अधिक जानकारी के लिए ‘‘गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिला का आहार कैसा हो’’ आलेख देखियें)
  • गर्भवती महिला को प्रतिदिन हर 1 घंटे के अंतराल में 2 गिलास पानी पीना चाहिए। जिससे शरीर ऊर्जावान रहता है साथ ही रक्तचाप भी सामान्य बना रहता है।
  • गर्भावस्था के दौरान दिन में कम से कम 2 घंटा आराम करें। सोते समय बायें करवट लेकर सोना चाहिए यह गर्भवस्था में सोने की सबसे आरामदायक स्थिति होती है।
  • गर्भवती महिला को साफ सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इसके लिए रोजाना स्नान करें व ढीले कपड़े पहने।

गर्भावस्था दौरान निम्न कार्य ना करें:

  • बासी भोजन ना करें।
  • भारी वजन ना उठायें।
  • नशा या धूम्रपान न करें इससे गर्भ में पल रहे शिशु के रक्तप्रवाह पर असर पढ़ता है।

गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिला को स्वयं का ध्यान रखने के साथ ही गर्भवती महिला के परिवार को भी महिला का पूरा खयाल रखना चाहिए। इस हेतु महिला के पारिवारिक सदस्यों मुख्यतः सास व पति को भी यह जानकारी होनी चाहिए।

गर्भावस्था दौरान प्रसव की तैयारी कैसे करें:

  • संभावित प्रसव तिथि से 15 दिन पूर्व ही प्रसव की तैयारी कर लेनी चाहिए।
  • प्रसव अस्पताल में ही कराना चाहिए यह माँ व नवजात शिशु हेतु सुरक्षा की दृष्टि से भी जरूरी है।
  • जन्म के बाद आघे घंटे के भीतर शिशु को माँ का पहला दूध अवश्य पिलायें। यह शिशु के लिए आवश्यक है।
  • घर में प्रसव पश्चात् गोबर की मैंड़ ना लगायें इससे माँ व शिशु को संक्रमण का खतरा होता है।
  • सरकार की जननी सुरक्षा योजना के अंतर्गत अस्पताल में प्रसव कराना, घर से आने जाने हेतु ऐबुलेस की सुविधा निःशुल्क प्रदान की जाती है।

गर्भावस्था के दौरान किसी भी प्रकार की समस्या होने पर तुरन्त निकटवर्ती सरकारी स्वास्थ्य केन्द्र/ आशा व ANM से संपर्क करें।

आलेख: baatpahaadki.com

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