गेठी या एयर पोटैटो क्या है | Gaithi ya Air Potato kya hai in Hindi

दोस्तों नमस्कार!

यह देखा गया है कि हम खेती-बाड़ी में पारम्परिक फसलों को लगाना ही पसंद करते हैं। हम हमेशा अधिक से अधिक उपज प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। क्योंकि हम जल्दी से पैसा बनाना चाहते हैं।

इस सब के दौरान क्या होता है कि सभी लोग एक ही प्रकार की फसल को उगाने लगते हैं। जिससे उपज काफी अधिक होती है जिसके कारण हमारी उपज को सही दाम नहीं मिलपाते हैं।

आपने देखा होगा कि जब मंडियों में एक सा उत्पाद एक साथ पहुँचता है तो उसे खरीददार मिलने मुश्किल हो जाता है। ऐसे में आपकी उपज की बरवादी होती है या फिर जमाखोर मामूली से दामों में उसे खरीदकर स्टोर कर लेते हैं। जिसे बाद में ऊचे दामों में बेचा जाता है।

आज का आलेख कृषि में नवीन प्रयोग करने तथा नई फसलों के चुनाव करने से संबंधित है। हमारा प्रयास रहता है कि हम आपको ऐसी फसलों की जानकारी प्रदान करें जिसमें आपको कम से कम मेहनत में अधिक लाभ हो।

आप इन फसलों अपनी मुख्य फसलों के साथ भी लगाकर लाभ ले सकते हैं। अगर सीधी भाषा में कहा जाय तो इन फसलों को आप बिना अधिक देखरेख एवं मेहनत के उगा सकते हैं।

आज के आलेख में हम आपको गेठी के बारे में बताने जा रहे हैं। जिसे उगाकर आप भी अच्छा लाभ कमा सकते हैं। लेकिन इसके लिए आपको गेठी के बारे में ठीक से समझना होगा। तो दोस्तों आलेख को अंत तक जरूर पढ़िएगा।

गेठी क्या है?

गेठी का साइंटिफिक नाम आर्थात वनस्पतिक नाम Dioscorea bulbifera  (डाइस्कोरिया बल्बीपेरा) है। कुमाऊँ क्षेत्र में इसे गेठी या गींठी  नाम से ही जाना जाता है। एक स्वादिष्ट भोजन के रूप में इसके फलों तथा कंद दोनों का ही उपयोग किया जाता है। इसे दुनियाँ के जबरदस्त सुपर फूडों की श्रेणी में रखा गया है।

दुनियाँ भर में गेठी की लगभग 600 प्रजाति पायी जाती हैं। गेठी के फल इसकी बेल में लगते हैं, जिनका रंग गुलाबी, भूरा तथा हरा होता है। गेठी का यह रंग इसकी प्रजाति पर निर्भर करता है।

गेठी अपने खास प्रकार के औषधीय गुणों तथा स्वास्थ्य लाभ के लिए जानी जाती है। किन्तु हिन्दी तथा अन्य भारतीय भाषाओं में जानकारी उपलब्ध नहीं होने के कारण हमारा ध्यान इसके व्यावसायिक उत्पादन की ओर गया ही नहीं।

गेठी का व्यावसायिक उत्पादन जहाँ एक ओर किसानों के लिए फायदे का सौदा है वही दूसरी ओर इसका उपयोग करने वाले ग्राहक गेठी से जबरदस्त स्वास्थ्य लाभ ले सकते हैं।

गेठी के अन्य नामः

गेठी को देश दुनियाँ में अन्य कई सारे नामों से भी जाना जाता है। हिन्दी में गिठी Gaithi, रतालु Ratalu, नेपाली में गीठ्ठा Giitthaa (Gittha), अंग्रेजी में एयर पोटाटो Air potato, पोटाटो याम Potato yam, बंगाली में बन आलू Ban Alu और भी न जाने कितने नामों से जाना जाता है।

गेठी की फसल एक बार लगाओं हर साल उत्पादन पाओंः

दोस्तों कैसा हो कि आपको फसल केवल एक ही बार लगानी पड़े और उसके बाद उत्पादन आप हर वर्ष लेते रहें। गेठी के मामले में आपको यह लाभ भी मिलता है।

गेठी के फल या कंद के टुकड़े ही इसका बीज होते हैं। जिन्हें आपको फलदार पेड़ों के नीचे अथवा खेतों केवल एक बार लगाना है। चूँकि गेठी एक प्रकार का बेलदार पौधा है, इसलिए इसे सहारे की आवश्कता होती है।

यदि आप एक बार गेठी को लगाने के बाद यह साल उससे फसल लेना चाहते हैं तो आपको फल तोड़ने के बाद इसके कंद को नहीं खोदना है। क्योंकि अगले वर्ष उसी कंद से नया पौधा निकलता है। जिससे आप नई फसल लेते हैं।

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गेठी की फसल बुवाई का समयः

सही मायनों में जो किसान पहली बार गेठी की फसल लगा रहे हैं, वह अप्रैल मध्य से मई मध्य तक गेठी की फसल लगा सकते हैं। गेठी के बीज को अंकुरित होने में लगभग एक माह का समय लगता है।

बरसात प्रारंभ होते ही गेठी के पौधे की बढ़वार काफी तेजी से होने लगती है। जिसके बाद गेठी की बेलें अपने चौड़ी पत्तियों के साथ पेड़ें में या सहारे के लिए खड़े किये गये खेबों में छाने लगती है।

गेठी की फसल को बहुत अधिक देखरेख की जरूरत भी नहीं पड़ती है। आप चाहें तो इसकी जड़ के आस पास की घास को उखाड़ कर थोड़ा बहुत गुढ़ाई कर खाद डाल सकते हैं। इसके अतिरिक्त आपको किसी प्रकार की मेहनत भी नहीं करनी होती है।

गेठी के फल की तुड़ाईः

अक्टूबर मध्य से नवम्बर अंत तक गेठी की बेलें स्वयं ही सूखने लगती हैं। यही वह सही समय है जब आप गेठी के फल को तोड़कर एकत्र कर भंडारित कर सकते हैं।

फल को समय से पूर्व तोड़ने पर फल परिपक्व नहीं हो पाता है तथा छिलके के अंदर हरे रंग की परत लगी होने के कारण स्वाद कसैंला होता है। इस लिए जरूरी है कि गेठी के फल को सही समय पर ही तोड़ा जाय।

जब गेठी की फसल की बुवाई को 2 से 3 वर्ष हो जाते हैं तो इस दौरान मिट्टी के अंदर गेठी के कंद का आकार भी काफी बड़ा हो जाता है।

किसान लोग समय-समय पर इस कंद की खुदाई कर भी कंद निकाल लेते हैं और कंद के एक टुकड़े को उसी समय दुवारा अगली वर्ष की फसल के लगा दिया जाता है।

गेठी का उपयोगः

गेठी की फसल उस समय निकलती है जब सर्दियों की सुरूवात हो जाती है। एक ओर हिन्दुओं के सबसे बड़े त्योहार दीपावली का सीजन होता है तो दूसरी ओर शर्दियों की गुनगुनी धूप।

ऐसे में चूल्हे की गर्म राख में कोयलों के नीचे गेठी पकाकर खाने का मजा ही कुछ और होता है गेठी को कितने प्रकारों से खाया जाता है और इसके कौन- कौन से उत्पाद और व्यंजन बनाये जाते हैं। इसकी जानकारी हम आपको अपने यू-ट्यूब चैनल तथा हमारी फूड वैबसाइट के माध्यम से देंगे।

गेठी खाने के स्वास्थ्य लाभः

1. गेठी का स्वाद लगभग आलू के समान होता है। जिसे एक पोषक आहार के रूप में खाया जाता है।
2. गेठी का प्रयोग शुगर अर्थात मधुमेह को नियंत्रित करने में भी किया जाता है जिसके लिए रोगी को इसे उबालकर दिया जाता है।
3. कुछ मामलों में देखा गया है कि पेचिश रोकने, मूत्रवर्धक एवं घावों के उपचार में भी गेठी का प्रयोग किया जाता है।
4. ल्यूकोडर्मा, फोड़ों के उपचार अस्थमा तथा पेट के कृमियों के उपचार में भी गेठी का प्रयोग किया जाता है।
5. गेठी में कैल्शियम, एंटीऑक्सीडेंट, एंटीकैंसर, एंटीट्यूमर के साथ ही शरीर के लिए लाभदायक खनिज पाये जाते हैं, जो स्वास्थ्य की दृष्टि से लाभदायक माने जाते हैं।

तो दोस्तों आपको गेठी या Dioscorea bulbifera के बारे में दी गई यह जानकारी कैसी लगी हमें जरूर बताईये।

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आलेखः

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2 thoughts on “”

  1. सर
    ये कड़वा क्यों निकलता है, मेरे परिवार में क़रीब 4-5 बार लाया गया
    परंतु शुरू में 1 बार बहुत अच्छा लगा,
    अगली बार जब भी लाये, हमेशा कड़वा ही निकला, अच्छे फल की पहचान क्या है, कृपया जानकारी देने की कृपा करें,
    मेरा मोबाइल 9406751434

    Reply
    • संतोष जी,
      आपके लगाए गये बीज में समस्या है। किसी अच्छे सोर्स से बीज लेकर लगाये।

      Reply

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