घिंगारू (Ghingaru) Pyracantha crenulata उत्तराखण्ड में मिलने वाला यह फल प्राकृतिक हार्ट टॉनिक है

दोस्तों नमस्कार!

इस आलेख में हम घिंगारू (Ghingaru) के बारे में जानेंगे। हो सकता है आपने यह नाम पहले भी सुना हो या सायद नहीं भी। मेरे पहाड़ के वासिंदे तो घिंगारू (Ghingaru) से खूब परिचित हैं। सायद कुछ दोस्तों तो घिंगारू का नाम सुनते ही अपने बचपन की यादों में भी खो जायें।

दोस्तों आगे की बात सुरू करने से पहले मैं आपको बता देना चाहता हूँ कि, घिंगारू (Ghingaru) पर लिखे गये इस लेख की जानकारी जो घिंगारू (Ghingaru) से परिचित नहीं हैं, उसके साथ ही जो घिंगारू के नाम से परिचित हैं, उसके लिए भी काम की है।

मैं दावा करता हूँ कि, इस आलेख में दी गई जानकारी आज से पहले आपको सायद ही पता होगी। इस आलेख को पूरे शोध के बाद एवं प्रमाणिक जानकारी के साथ हिन्दी भाषा में इस लिए लिखा जा रहा है, क्योंकि घिंगारू (Ghingaru) की हिन्दी में बहुत अधिक जानकारी उपलब्ध नहीं है।

मेरे शहरी क्षेत्र में निवास करने वाले मित्र तो घिंगारू (Ghingaru) नाम ही पहली बार सुन रहे होंगे। मैं पहाड़ का वासिंदा हूँ और अपने पहाड़ की बातें आप तक पहुँचाता हूँ। या यूँ कह लो कि मैं आपको अपने पहाड़ से रूबरू कराता हूँ।

मैं चाहता हूँ कि जो लोग पहाड़ से वाकिफ नहीं हैं, आप मेरे पहाड़ आयें और इससे मिलें। और मेरे पहाड़ के लोग जो मेरे पहाड़ से किसी कारण से दूर हो गये, वह अपने पहाड़ की बेशकीमती चीजों को पहचानें, अपनी आने वाली पीढ़ियों को अपनी धरोहर से मिलायें।

घिंगारू (Ghingaru) क्या है? एक परिचयः

घिंगारू (Ghingaru) जिसका वनस्पति वैज्ञानिक नाम (Botanical Name) Pyracantha crenulata है, एक झाड़ीनुमा लेकिन बहुत ही बेशकीमती औषधीय वानस्पतिक पौधा है। इसे Nepalese White Thorn, Nepalese firethorn नामों से भी दुनियाँ में जाना जाता है। इसके अतिरक्त इसे “हिमालयन-फायर-थोर्न”, “व्हाईट-थोर्न” तथा स्थानीय कुमाउनी भाषा में  “घिंगारू ” या “घिंघारू ” के नाम से भी पहचाना जाता है।

घिंगारू (Ghingaru) Pyracantha परिवार से आता है, और पादप कुल रोजेसी (Rosaceae) है। यह पौधा दुनियाँ में ई. एशिया, उत्तर- पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र में भारत के पहाड़ी राज्यों उत्तराखण्ड, हिमांचल प्रदेश के साथ ही नेपाल व चायना में भी पाया जाता है।

समुद्र सतह से 1700 से 3000 मीटर तक की ऊचाई तक में पाया जाने वाला यह पौधा प्राकृतिक रूप से खुली ढलानों, खेत की मौड़ों, घास के मैदानों, सड़कों के किनारे, झरनों व नदी नालों के किनारे तथा पहाड़ी घाटियों में भी पाया जाता है।

घिंगारू (Ghingaru) Pyracantha crenulata में फूल एवं फल आने का समयः

घिंगारू (Ghingaru) में वर्ष में एक बार फल आता है। जिन्हें पक्षी और जंगली जानवार जैसे बंदर, लंगूर आदि बड़े चाव के खाते हैं। स्थानीय बच्चे भी घिंगारू के फल को काफी पसंद करते हैं। प्रतिवर्ष मार्च से मई माह के बीच घिंगारू में सफेद रंग के फूल आते हैं, यह फूल काफी सारे गुच्छों की शक्ल में आते हैं।

कहा जाता है कि घिंगारू के फूल से मधु मक्खियों द्वारा बनाया गया शहद, अपने आप में औषधीय गुणों से भरपूर होता है। यह शहद रक्त में शुगर की मात्रा को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस लिए शुगर के मरीजों के लिए खासा लाभदायक होता है।

फूल के परिपक्व होने के बाद घिंगारू में छोटे- छोटे हरे रंग के दाने लगते हैं, जो पकने बाद नारंगी लाल रंग के हो जाते हैं। इन पके फलों का स्वाद खट्टा मीठा होता है। शक्ल में यह लाल रंग के फल छोटे सेब के आकार के होते हैं। जिन्हें बच्चे छोटा सेब ही कहते हैं।

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घिंगारू (Ghingaru) Pyracantha crenulata के पौधे का उपयोगः

घिंगारू की पत्तियों तथा फलों को उपयोग में लाया जाता है। पारम्परिक रूप से बीते बखत में स्थानीय लोग घिंगारू की चटनी बनाकर खाते थे। इसके फलों का भी प्रयोग खाने के लिए किया जाता था। बच्चे तो इसे बड़े चाव से खाते हैं। घिंगारू की पत्तियों को चारे के रूप में जानवरों को खिलाया जाता है।

घिंगारू (Ghingaru) Pyracantha crenulata के औषधीय उपयोगः

विभिन्न शोधों से ज्ञात हुआ है कि घिंगारू (Ghingaru) Pyracantha crenulata के फल में कुछ ऐसे बेशकीमती तत्व पाये जाते हैं, जो हार्ट यानी हमारे दिल के लिए एक टॉनिक का काम करते हैं।

दही के साथ फलों से तैयार पाउडर एवं सूखे फलों का प्रयोग खूनी पेचिश का उपचार करने में किया जाता है। किन्तु यहाँ यह सलाह दी जाती है कि किसी भी प्रकार से घिंगारू के औषधीय प्रयोग से पूर्व किसी विशेषज्ञ आयुर्वेदाचार्य अथवा चिकित्सक की सलाह ली जानी अनिवार्य है।

एक्जिमा के उपचार के लिए भी घिंगारू से तैयार टॉनिक का प्रयोग किया जाता है।

यदि उक्त सलाह के बाद भी कोई व्यक्ति एक औषधि के रूप में घिंगारू का प्रयोग करता है, जिससे उसे किसी प्रकार का नुकसान होता है तो संबंधित व्यक्ति स्वयं जिम्मेदार होगा। लेखक अथवा यह वैबसाइट किसी भी प्रकार के नुकसान की जिम्मेदारी नहीं लेती है।

किन्तु सामान्य रूप में घिंगारू के फलों का प्रयोग किसी भी व्यक्ति द्वारा किया जा सकता है। जिसका शारीरिक लाभ भी उसे प्राप्त होता है। घिंगारू के ताजा फलों का प्रयोग पूर्ण रूप से सुरक्षित है।

घिंगारू का फल पौष्टिक एवं औषधीय गुणों वाला होता है, जो कई बिमारियों के निवारण जैसे- ह्रदय संबंधी विकार, हाइपर टेन्शन, मधुमेह, रक्तचाप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। घिंगारू पत्तियां एंटीऑक्सीडेंट और एंटीइन्फलामेट्री गुणों से भरपूर होती है, जिसके कारण हर्बल चाय के रूप में भी इसका प्रयोग बहुतायत किया जाता है।

घिंघारू के फल में मिलने वाले FlavonoidsGlycosides की वजह से बेहतरीन Anti-inflammatory गुण होते हैं। घिंगारू के फलों को सुखाकर चूर्ण बनाकर दही के साथ खूनी दस्त के उपचार हेतु  उपयोग किया जाता है।

घिंगारू के फलों में पर्याप्त मात्रा में शर्करा पायी जाती है, जिसके कारण यह शरीर को तत्काल ऊर्जा देने वाला फल है। इसके फलों के जूस में रक्तवर्धक गुण पाये जाते हैं। इन्ही औषधीय गुणों के कारण “रक्षा जैव ऊर्जा अनुसंधान संस्थान” Defence Institute of bioenergy Research field station, Pithoagarh द्वारा घिंगारू के फूल के रस से ’हृदय अमृत’ नामक औषधि बनाई गयी है।

घिंगारू से विभिन्न प्रकार के गुणकारी उत्पाद बनाने की दिशा में चल रहा है शोधः

घिंगारू (Ghingaru) के पौधे में विद्यमान औषधीय गुणों तथा प्राकृतिक रूप से बहुतायत मात्रा में मिलने के कारण, उत्तराखण्ड के कुछ स्वयं सेवी संगठनों द्वारा स्थानीय लोगों के साथ मिलकर घिंगारू के फलों से गुणकारी उत्पाद बनाने की ओर शोध किया जा रहा है।

इस गतिविधि से न केवल स्थानीय लोगों की आय बढ़ाने में मदद मिलेगी, वरन यहाँ आने वाले लाखों पर्यटक अब अपने घर में अपने परिजनों को भी घिंगारू का स्वाद और इसके औषधीय लाभ दे सकेंगे।

पहाड़ आने वाले पर्यटकों को खूब भाता है घिंगारू (Ghingaru) का स्वादः

उत्तराखण्ड के पहाड़ी क्षेत्रों नैनीताल, मुक्तेश्वर, धारी, धानाचूली, अल्मोड़ा, रानीखेत, पिथौरागढ़, चम्पावत आदि स्थानों में घुमने आने वाले पर्यटक बरसात के सीजन में मुफ्त में मिलने वाले घिंगारू (Ghingaru) के फल का खूब स्वाद लेते हुये दिखाई देते हैं।

उन्हें इसका स्वाद काफी भाता है। कई पर्यटक तो अपने घर के लिए भी घिंगारू ले जाने के लिए स्थानीय लोगों से डिमांड करते हैं।

तो दोस्तों आपको घिंगारू (Ghingaru) के बारे में दी गई यह जानकारी कैसी लगी हमें जरूर बताईये।

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आलेखः

पंकज सिंह बिष्ट

baatpahaadki.com

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