गर्भावस्था के दौरान होने वाले खतरों और जटिलता को पहचानें

गर्भावस्था के दौरान कुछ गर्भवती महिलाओं को अतिरिक्त देखभाल व डॉक्टरी सहायता की आवश्यकता पढ़ती है। आज हम इस प्रकार की महिलाओं की पहचान करने व उनके उपचार हेतु क्या अनिवार्य कदम उठाने चाहिए इस बिषय पर चर्चा करेंगे।

गर्भावस्था के दौरान यदि किसी भी महिला में खतरे व जटिलता के लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत बिना देरी किये गर्भवती महिला का उपचार किसी कुशल डॉक्टर से कराना चाहिए। समय पर उपचार नहीं कराने या लापरवाही होने पर गर्भवती महिला व उसके गर्भ में पल रहे शिशु की मृत्यु भी हो सकती है।

गर्भावस्था के दौरान होने वाले खतरे के लक्षणः

  • किसी भी गर्भवती महिला को खून गिरना, इसकी मात्रा चाहे एक बूंद ही क्यूं ना हो।
  • गर्भवती महिला को तेज सरदर्द होना व उल्टी होना।
  • गर्भवती महिला को चक्कर आना या आँखों के सामने अंधेरा छाना।
  • गर्भवती महिला को दौरे पढ़ना।
  • गर्भवती महिला का रक्तचाप (ब्लेड प्रेशर या ठच्) बढ़ना।
  • गर्भवती महिला के हाथ, पांव व चेहरे में सूजन होना।
  • गर्भवती महिला की जाँच करते समय गर्भ में शिशु की धडकन कम होना या नहीं सुनाई देना।
  • गर्भ में शिशु की हलचल का नहीं होना।

जटिलता वाली गर्भवती महिला की पहचानः

  • गर्भवती महिला को गंभीर खून की कमी (अनीमिया) होना।
  • गर्भ में जुड़वा शिशुओं का होना।
  • गर्भवती महिला को किसी गंभीर बीमारी का होना।
  • गर्भवती महिला की उम्र 18 वर्ष से कम अथवा 35 वर्ष से अधिक होना।
  • गर्भवती महिला का कद (लंबाई) सामान्य से कम होना।
  • गर्भवती महिला का पहला बच्चा यदि ऑपरेशन द्वारा हुआ हो।
  • गर्भवती महिला के तीन से अधिक बच्चे होना, जिसमें गर्भपात भी सामिल होता है।
  • प्रसव के अंतिम माह में गर्भ में शिशु का उल्टा या आड़ा तिरछा होना।
  • गर्भवती महिला का वजन बहुत कम या बहुत अधिक होना।

उक्त लक्षणों व जटिलता की पहचान होते ही किसी कुशल डॉक्टर से बिना देरी किये उपचार व परामर्श लेना अनिवार्य है। समय पर उठाया गया कदम गर्भवती महिला व गर्भ में पल रहे शिशु का जीवन बचा सकता है। ऐसी गर्भवती महिला का प्रसव अस्पताल में ही कराना सुरक्षित है।

गर्भावस्था के दौरान ऐसी गर्भवती महिलाओं को स्वयं के खान-पान का बिशेष ध्यान रखना चाहिए। समय समय पर आवश्यक जाँचे कराना भी अनिवार्य है। गर्भवती महिला के परिवार को भी इस ओर विशेष ध्यान देना चाहिए।

बिना डॉक्टरी सलाह के गर्भवती महिला का स्वयं किसी भी प्रकार का घरेलू उपचार नहीं करना चाहिए, और ना ही गर्भवती महिला को किसी प्रकार की जड़ीबूटी आथवा दवा देनी चाहिए। इस प्रकार का कदम जानलेवा हो सकता है।

गर्भावस्था के दौरान स्वास्थ्य से संबंधित जानकारी हेतु अपने गाँव में होने वाली मातृ समूह की बैठकों में प्रतिभाग करें। किसी भी प्रकार की सहायता हेतु गाँव की आशा/ ANM/ नजदीकी सरकारी स्वास्थ्य केन्द्र से संपर्क करें।

आलेख: baatpahaadki.com

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