जानिए अपने लिए बेस्ट हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी कैसे खोजें (हिन्दी में)

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दोस्तों नमस्कार!

दुनियां भर में कोरोना महामारी फैलने के बाद हम सबके लिए अपने स्वास्थ्य को बेहतर बनाये रखना एक बड़ा चैलेंज हो गया है। जिन्दगी के किस मोड़ में कब और कहाँ हमारा सामना बीमारियों से हो जाय, यह किसी को पता नहीं होता।

लेकिन समस्या तो तब आती है जब उस बीमारी के इलाज का खर्च सुनकर हमारे होश उड़ जाते हैं। कई बार तो यह इलाज इतना महंगा होता है कि हमें इलाज कराने के लिए अपना सब कुछ बेचने तक की नौमत आ जाती है।

लेकिन यदि आप समय रहते अपना तथा अपने परिवार का स्वास्थ्य बीमा यानि हेल्थ इंश्योरेंस जरूर करवा लें। ताकि आप भविष्य में होने वाली एक बड़ी समस्या से बिना किसी परेशानी के उबर सकें।

इस आलेख में हम आपको यही जानकारी देने जा रहे हैं कि आप अपने लिए एक सही हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी कैसे खरीद सकते हैं। इस जानकारी की सहायता से आप अपने, अपने परिवार और अपने प्रियजनों के लिए एक सही हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीद सकते हैं।

अपने लिए हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने से पहले यह जरूर जान लें

  • Health Insurance खरीदने से पहले पॉलिसी के Features और Options को भली प्रकार जानें
  • हेल्थ इंश्योरेंस के Terms और Conditions को ठीक से समझ लें
  • हेल्थ इंश्योरेंस में आपको कौन- कौन सी सेवायें और सुविधायें चाहिए उनकी लिस्ट बनायें
  • अपने लिए सही Health Insurance Policy का चुनाव कैसे करें।

बेस्ट हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी खोजने के लिए इस वीडियो को भी देखिए (हिन्दी में)

Health Insurance की आवश्यकता किसे होती है?

क्या एक ऐसा इंसान जिसके पास करोड़ों की संम्पति और पैसा है उसे Health Insurance की जरूरत होगी? या फिर आप और हम जैसे लोग जिसकी आमदनी सीमित या बहुत कम होती है?

एक बार जरा कल्पना करके देखिए कि अगर आप अचानक से बीमार पड़ जायें और आपके इलाज का खर्च 10 लाख रूपया आ जाय तो आप एकदम से इतना पैसा लायेंगे कहाँ से?

सायद आपको इसके लिए बहुत अधिक ब्याज पर कर्ज लेना पड़े या फिर आपकों अपने किसी रिस्तेदार या दोस्त से इसके लिए मदद मांगनी पड़े या फिर आपको अपनी कोई महंगी चीज बेचनी पड़ जाय। कुछ भी हो अपके लिए एकदम से इतने पैसे का बंदोबस्त कर पाना सायद ही संभव हो।

फिर अगर आपने पावर ऑफ कम्पाउडिंग को समय पर नहीं समझा तो आप जान लीजिए कि आप कभी भी अमीर नहीं बन सकेंगे।

हर वह इंसान जो भविष्य में अमीर बनना चाहता है और वर्तमान में नियमित रूप से निवेश भी कर रहा है। उसके पास एक हेल्थ इंश्योरेंस भी अनिवार्य रूप से होना ही चाहिए। क्योंकि स्वास्थ्य एक ऐसा विषय है जिसमें आपसे पूछकर खराबी नहीं आती और जब आप बीमार पड़ जाते हैं तो यह आपकी फाइनेंशियल हालातों को चुटकियों में अर्श से फर्श तक ला सकता है।

पॉलिसी ले लिए तो “अब चाहे कुछ भी हो हमें सारा पैसा मिल जायेगा” इस गलत फहमी में न रहें

कई बार लोग यह भी सोच लेते हैं कि ‘‘अब तो हमने हेल्थ इंश्योरेंस ले लिया, अब चाहे हमें कुछ भी हो जाय हमें इलाज का सारा खर्च बीमा कम्पनी से मिल ही जायेगा।’’ तो भाई मेरे अगर आपने बिना जाने समझे यू ही कोई हेल्थ इंश्योरेंस ले लिया है तो क्लेम के समय आपको यह भारी पढ़ सकता है।

क्योंकि एक बीमा कम्पनी आपको हेल्थ इंश्योरेंस देने से पहले अपने प्रपोजल फार्म में ढेरे नियम और शर्तों के साथ आपको पॉलिसी बेचती है। जिन्हें आप बिना पढ़े ही साईन कर जमा करा देते हैं।

लेकिन बाद में जब आपको क्लेम देने की बारी आती है तो इंश्योरेंस कम्पनीयां इन्ही नियम और शर्तों की दुहाई देकर आपको क्लेम देने से इनकार तक कर सकती हैं, तो ऐसे में आपके हेल्थ इंश्योरेंस का कोई फायदा नहीं।

ऐसे में कोई भी हेल्थ इंश्योरेंस लेने से पहले उसके नियम और शर्तों को जानना आपके लिए बेहद जरूरी हो जाता है।

इस आलेख में हमारी कोशिश रहेगी कि आपको एक ऐसा हेल्थ इंश्योरेंस लेने में मदद करें, जिसे लेने के बाद जब भी आप दावा प्रस्तुत करें तो 99 प्रतिशत आपका क्लेम पास हो जाये।

आपको कितना हेल्थ इंश्योरेंस कवर की जरूरत है?

आपको कितना हेल्थ इंश्योरेंस कवर चाहिए यह कई प्रकार की परिस्थितियों पर निर्भर करता है। उदाहरण के लिए जैसे आपकी ‘‘लाईफ स्टाईल’’ क्या कही ऐसा तो नहीं है कि आप ज्यादा ही तला-भुना या ऑयली और मसालेदार भोजन तो नहीं करते? यदि हाँ तो आपको ज्यादा हैल्थ इंश्योरेंश कवर की जरूरत होगी।

दूसरा यह फिर आपके काम की प्रकृति पर भी निर्भर करेगा। अगर आप कोई ऐसा काम करते हैं जिसमें बहुत अधिक शोर, धूल या कम्पन आदि झेलना पड़ता है तो आपको सामान्य व्यक्ति की अपेक्षा हाई कवर की आवश्यकता होगी।

इसके अलावा आपको यह भी जानकारी होनी चाहिए कि आपके शहर या गाँव के हॉस्पिटलों में बड़ी बीमारियों जैसे हार्ट सर्जरी या बाईपास सर्जरी के ईलाज का औसत खर्च कितना आता है।

एक वयस्क व्यक्ति और एक बच्चे के लिए हेल्थ इंश्योरेंस कवर की जरूरत बिल्कुल अलग होती है। जहाँ बच्चे के लिए 3 लाख का कवर काफी होता है वही एक वयस्क व्यक्ति के लिए कवर की सीमा 5 लाख तो होनी ही चाहिए।

हेल्थ इंश्योरेंस कितने प्रकार का होता है?

हेल्थ इंश्योरेंस दो प्रकार के होते हैं पहला फ्लोटर Floater और दूसरा इंडिविजुवल Individual। फ्लोटर का मतलब कॉम्बों होता है जिसमें आप पूरे परिवार का एक साथ बीमा कराते हैं और जिसके लिए आपको केवल एक ही पॉलिसी और प्रीमियम जमा करानी होती है।

अब इसके कुछ पायदे हैं तो कुछ नुकसान भी हैं। फायदा यह है कि यह सस्ता पड़ता है क्योंकि आपने अपने पूरे परिवार के लिए एक ही हैल्थ इंश्योरेंश प्लान ले लिया और जिसके लिए आपको प्रीमियम भी एक ही भरनी होती है।

लेकिन नुकसान यह है कि अगर आपने अपने परिवार के लिए (पति-पत्नी और 2 बच्चे) 5 लाख का हेल्थ इंश्योरेंस कवर लिया है, तो इसका मतलब कवर 20 लाख नहीं होगा। यहाँ कवर 5 लाख ही होगा।

ऐसे में अगर कोई फैमिली मैम्बर ईलाज के लिए हॉपिटलाईज होता है और उसके ईलाज में 3 लाख का खर्च आ जाता है वही उसी साल में किसी दूसरे फैमिली मैम्बर को भी ईलाज के लिए हॉपिटलाईज होना पढ़ जाय और उसके ईलाज में भी 3 लाख का ही खर्च आ जाय तो इस परिस्थिति में बीमा कम्पनी 2 लाख का ही क्लेम पास करेगी।

लेकिन मार्केंट में ऐसे प्लान भी उपलब्ध हैं जिनमें बीमा कम्पनी 3 लाख का क्लेम देने के बाद भी उसी साल में बीमा कवर को 5 लाख कर देती है। इसे रिस्टोरेसन वेनिफिट कहा जाता है लेकिन इसके लिए आपको थोड़ा सा ज्यादा प्रीमियम देना होगा। इसका एक नुकसान यह है कि अगर आपके परिवार में कोई बुजुर्ग व्यक्ति हैं और उन्हें कोई बीमारी भी है तो ऐसी स्थिति में सारे परिवार के बिमा की प्रीमियम काफी ज्यादा हो जायेगी।

आप इस नुकसान से बचने के लिए अपने परिवार के बुजुर्ग व्यक्ति के लिए इंडिविजुवल हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी ले सकते हैं और शेष परिवार को फ्लोटर प्लान में कवर कर सकते हैं। इससे आपका प्रीमियम काफी कम हो जाता है।

अपने हेल्थ इंश्योरेंस में ईलाज के दौरान मिलने वाले रूम रेंट के बारे में भी जरूर जानें

हेल्थ इंश्योरेंस में ईलाज के दौरान मिलने वाले रूम रेंट के बारे में भी आपको ठीक से पता होना चाहिए। क्योंकि कई सारी पॉलिसी में आपको मिलने वाले रूम रेंट चार्जेज में कम्पनीयों द्वारा एक सीमा तय कर दी जाती है।

आपको मिलने वाला रूम रेंट आपके हैल्थ इंश्योरेंश कवर पर निर्भर करता है। आप जितने का कवर लेते हैं उसका 1 प्रतिशत तक ही आपको रूम रेंट मिलता है। उदाहरण के लिए अगर आपने 5 लाख का कवर लिया है तो आपको केवल 5000 तक का ही रूम रेंट मिलेगा।

अब अगर आप अपना ईलाज कराने ऐसे हॉस्पिटल में चले गये जहाँ रूम रेंट ही 10000 रूपया है, तो बीमा कम्पनी क्लेम के समय आपसे कहेगी कि सर आपकी पॉलिसी के अनुसार आपको तो 5000 रूपये तक ही रूम रेंट मान्य है इससे ज्यादा तो हम नहीं देंगे। ऐसे में आपको 50 प्रतिशत ही रूम रेंट मिलेगा।

आप सोचेंगे कि चलो कोई बात नहीं हमें 50 प्रतिशत रूम रेंट तो मिल ही रहा है, अगर बेहतर सुविधा के लिए हमें जेब से शेष 50 प्रतिशत देना भी पढ़ रहा है तो कोई बात नहीं ईलाज का पैसा तो पूरा मिल जायेगा। लेकिन थोड़ा रूको मेरे भाई ऐसा नहीं है, यहाँ आपके रूम रेंट के अनुसार ही आपके ईलाज में होने वाले खर्च को भी लिंक किया जाता है।

यानि अगर आपको रूम रेंट 50 प्रतिशत ही मिल रहा है तो ईलाज में होने वाले खर्च का भी 50 प्रतिशत ही मिलेगा। ऐसे में आपके हेल्थ इंश्योरेंस लेने का कोई फायदा नहीं। आपने तो यह सोच कर हैल्थ इंश्योरेंश कराया था कि जब कभी भी स्वास्थ्य समस्या हो तो ईलाज में मेरी जेब से पैसा खर्च न हो।

मार्केट में ऐसे प्लान भी हैं जिसमें रूम रेंट की कोई लिमिट नहीं होती है। ऐसे में आपको चाहिए कि आप एक ऐसा प्लान लें जिसमें रूम रेंट की लिमिट न हो। अगर कोई लिमिट हो भी तो ईलाज में होने वाला अन्य खर्च आपके रूम रेंट से लिंक न हो।

ऐसे में रूम रेंट का कुछ पैसा तो हम अपनी जेब से दे सकते हैं लेकिन जब बीमा कम्पनी सर्जरी और ईलाज का लाखों रूपया रूम रेंट की लिमिट के कारण काट दे तो यह सच में आपके लिए एक बड़ी समस्या हो सकती है।

हेल्थ इंश्योरेंस में सब-लिमिट को भी जानें

अब यह भी हो सकता है कि आपको हेल्थ इंश्योरेंस में 5 लाख का कवर तो मिला है, लेकिन हार्ट सर्जरी में 3 लाख रूपये की ही लिमिट बीमा कम्पनी द्वारा निर्धारित की गयी हो। कई सारे हेल्थ इंश्योरेंस प्लानों में अलग-अगल बीमारियों के ईलाज के खर्च पर भी कम्पनीयों द्वारा लिमिट लगा दी जाती है।

ऐसे में हेल्थ इंश्योरेंस कराने से पहले यह भी सुनिश्चित कर लें, कि कहीं आपके प्लान में भी बीमा कम्पनी द्वारा इस प्रकार की कोई लिमिट तो नहीं लगाई गयी है।

हेल्थ इंश्योरेंस में को-पेय को भी जानें

को-पेय का मतलब है कि जब भी आप अपना ईलाज कराने जायें तो उस बखत ईलाज में होने वाले खर्च में से कुछ पैसा आपको देना पढ़ता है और कुछ बीमा कम्पनी देती है। इस प्रकार के प्लान भी आपके हेल्थ इंश्योरेंस कराने के उद्देश्यों के खिलाफ ही होते हैं।

इसलिए आपको को-पेय वाले प्लान लेने से भी बचने की आवश्यकता है, ताकि जरूरत पड़ने पर आपको अपने ईलाज के खर्च का 100 प्रतिशत भुगतान आपकी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी से हो सके।

हेल्थ इंश्योरेंस में जोनल व पैन इंडिया प्लानों के अंतर को जरूर जानें

बहुत सारी बीमा कम्पनीयां जोनल आधार पर हेल्थ इंश्योरेंस प्लान बेचती हैं। जिसमें आपको टेयर 1, टेयर 2 और टेयर 3 श्रेणी के अनुसार प्रीमियम चार्च की जाती है। अगर आप टेयर 1 शहर में रहते हैं तो आपको अधिक प्रीमियम का भुगतान करना पड़ता है। वही टेयर 2 शहर में रहने वाले व्यक्ति को थोड़ा कम और टेयर 3 शहर वाले को सबसे कम प्रीमियम का भुगतान करना पड़ता है।

कुछ लोग जो कम प्रीमियम का भुगतान करने के लालच में टेयर 1 शहर में रहते हुये भी अपने मूल निवास जो ग्रामीण क्षेत्र में टेयर 3 की श्रेणी में आता है के पते के आधार पर हेल्थ इंश्योरेंस प्लान ले लेते हैं। लेकिन जब उन्हें टेयर 1 श्रेणी के शहर में ईलाज कराना पड़ता है तो उस बखत उन्हें पूरा क्लेम नहीं मिलता उन्हें ईलाज में खर्च होने वाली धनराशि का एक बड़ा प्रतिशत खुद से व्यय करना पड़ता है।

वही पैन इंडिया प्लानों में हेल्थ इंश्योरेंस की प्रीमियम पूरे भारत में किसी भी राज्य या शहर या गाँव से कराने पर प्रीमियम एक सी होती है। आपको चाहिए कि आप जिस शहर में रहते हैं वहीं के पते पर हेल्थ इंश्योरेंस करायें या ऐसा प्लान लें जिसमें पैन इंडिया एक समान प्रीमियम का भुगतान करना होता है।

क्लेम रिजेक्शन से बचने के लिए Reasonable & Customary Clause को जरूर जानें

कई बार हेल्थ इंश्योरेंस कम्पनी आपको पूरा क्लेम देने से मना कर देती हैं। इसके कारणों को जानने के लिए आपको अपने हेल्थ इंश्योरेंस में लागू होने वाली शर्त जिसे Reasonable & Customary Clause कहा जाता है के बारे में जानना जरूरी है।

उदाहरण के लिए आपके शहर में संबंधित हेल्थ इंश्योरेंस कम्पनी के 5 अधिकृत हॉस्पिटल हैं और आपको अपनी हार्ट सर्जरी करानी है। आपने एक हॉस्पिटल में हार्ट सर्जरी का खर्च पता किया तो वहाँ 1 लाख में सर्जरी होने की बात कही गयी। फिर आने दूसरे हॉस्पिटल में पता किया तो वहाँ उसी सर्जरी का 2 लाख खर्च बताया गया।

अपने सोचा चलो 2 लाख वाले हॉस्पिटल में सर्जरी करा लेते हैं पैसा तो कम्पनी दे ही देगी। लेकिन जब आपने क्लेम लेना चाहा तो आपको 1 लाख रूपये का ही क्लेम मिला। जब आप कारण पता करते हैं तो आपको कम्पनी बताती है कि आपने जो सर्जरी 2 लाख में करायी है वही सर्जरी आपके ही शहर के दूसरे हॉस्पिटल में 1 लाख में ही हो जाती है और आपने जानबूझ कर महंगे में सर्जरी कराई है इस लिए हम आपको 1 लाख ही देंगे।

इसी को Reasonable & Customary Clause कहते हैं और यह आपके पॉलिसी दस्तावेज में लिखा होता है। लेकिन कुछ हेल्थ इंश्योरेंस ऐसे भी होते हैं जिसमें यह शर्त लागू नहीं होती है, तो अपने लिए हेल्थ इंश्योरेंस लेते वक्त Reasonable & Customary Clause के बारे जरूर पता कर लें।

अपने हेल्थ इंश्योरेंस में टॉप-अप के बजाय सुपर टॉप-अप सुविधा का लाभ उठायें

सुपर टॉप-अप सुविधा आपके हेल्थ इंश्योरेंस के बेस कवर के ऊपर आपको अतिरिक्त कवर प्रदान करती है। माना आपने 5 लाख का हेल्थ इंश्योरेंस कराया और आपको लगता है कि मुझे भविष्य में 10 लाख का मेडिकल खर्च आ सकता है तो आप 5 लाख का सुपर टॉप-अप ले सकते हैं।

अब आपका प्रश्न यह होगा कि अपनी बेस पॉलिसी को ही 10 लाख का क्यों न ले लिया जाय? तो इसका फायदा यह है कि आपको यह सस्ता पड़ेगा बजाय इसके कि आप अपनी बेस पॉलिसी को 10 लाख करायें।

आपको टॉप-अप के बजाय सुपर टॉप-अप सुविधा ही इस लिए लेनी चाहिए, क्योंकि केवल टॉप-अप सुविधा में कुछ पाबंधियां होती है। यह तब लागू होती हैं जब आप एक ही साल के अंदर दूसरी बार हेल्थ क्लेम लेते हैं।

इसे इस प्रकार समझा जा सकता है कि माना आपने 5 लाख का बेसिक हेल्थ इंश्योरेंस और 5 लाख का ही टॉप-अप कराया है। अब आपको कोई ऐसी सर्जरी करानी पड़ गयी जिसमें 8 लाख का खर्च आ रहा है, तो ऐसे में 5 लाख रूपया आपके बेसिक हेल्थ इंश्योरेंस से और शेष 3 लाख टॉप-अप पॉलिसी से खर्च होगा।

वही जब आप उसी साल में कोई दूसरी सर्जरी कराते हैं जिसमें 2 लाख का खर्च आ रहा हो, और आपने सोचा कि मेरे टॉप-अप प्लान में 2 लाख बचे हैं मुझे वहाँ से पैसा मिल जायेगा तो आप गलत हैं। ऐसी स्थिति में वह 2 लाख रूपया आपको अपनी जेब से भरना पड़ेगा।

क्योंकि टॉप-अप प्लान आपके बेस प्लान कवर के ऊपर ऐक्टिव होता है। क्योंकि आप अपना बेस प्लान का पैसा खर्च कर चुके हैं ऐसे में आप सीधे टॉप-अप सुविधा का लाभ नहीं उठा सकते हैं, लेकिन सुपर टॉप-अप प्लान में यह नियम लागू नहीं होता।

प्री और पोस्ट हॉस्पिटलाईजेशन

प्री और पोस्ट हॉस्पिटलाईजेशन वह समय अवधि है, जिसमें आपको कुछ दिनों बाद सर्जरी करानी है। लेकिन डॉक्टर ने आपको सर्जरी कराने से पहले 1 महिने तक कोई थैरेपी कराने और दवा खाने को कहा है इस स्थिति में उस थैरेपी को कराने और दवाओं में जो खर्च आयेगा उसे प्री हॉस्पिटलाईजेशन व्यय कहेंगे।

ठीक इसी प्रकार सर्जरी काराने के बाद जब आपको हॉस्पिटल से छुट्टी मिल जाती है तो घर आने के बाद भी कुछ-कुछ ट्रिटमैंट चलता रहता है जिसे कराने में भी पैसा खर्च होता है जिसे पोस्ट हॉस्पिटलाईजेशन व्यय कहा जाता है।

लगभग सभी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी यह सुविधा प्रदान करती हैं। लेकिन प्री और पोस्ट हॉस्पिटलाईजेशन खर्च क्लेम करने के लिए हेल्थ इंश्योरेंस में एक निश्चित समय होता है। जो अगल-अगल पॉलिसी में भिन्न हो सकता है।

ज्यादातर कम्पनीयां आपको 60 दिन का प्री हॉस्पिटलाईजेशन और 180 दिन तक का पोस्ट हॉस्पिटलाईजेशन की सुविधा देती हैं। लेकिन फिर भी पॉलिसी कराते वक्त इस समयावधि का आपको पता होना चाहिए।

हेल्थ इंश्योरेंस में डे-केयर कवरेज क्या होता है?

कई मामलों में ऐसा भी होता है कि आपको ट्रिटमैंट कराने के लिए हॉस्पिटल में भर्ती होने की जरूरत ही नहीं पड़ती, कुछ घण्टों में ही आपका काम हो जाता है। ऐसे में क्या ट्रिटमैंट में आने वाला खर्च आपके हेल्थ इंश्योरेंस में कवर होगा या नहीं इसकी जानकारी भी पॉलिसी कराते वक्त कम्पनी से पता कर लें।

क्या आपकी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में Extended Coverage है?

अगर आपको आयुष ट्रिटमैंट या कॉस्मेटिक ट्रिटमैंट की जरूरत है अगर आपका उत्तर हाँ में है तो आपको अपनी पॉलिसी में Extended Coverage की सुविधा के बारे में जानना जरूरी है।

Waiting Period वेटिंग पीरियड

Waiting Period वह समयावधि होती है जिसके पूरा होने के बाद ही आप हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के तहत अपने मेडिकल बिल दावा प्रस्तुत कर सकते हैं। अगर आप यह सोच रहे हैं कि आज आपने पॉलिसी ली और 5 या 10 दिन बाद ही आपको कोई मेडिकल इमरजैंसी के कारण हॉस्पिटल में भर्ती होना पड़ा तो इस दौरान होने वाला खर्च हेल्थ इंश्योरेंस से मिल जायेगा, तो आप गलत हैं।

हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने के बाद एक वेटिंग पीरियड होता है, जिसके पूरा होने के बाद ही आप अपनी पॉलिसी की सुविधाओं का लाभ ले सकते हैं। आम तौर पर यह वेटिंग पीरियड 30 दिन का होता है। लेकिन वर्तमान में कोरोना कवर वाली पॉलिसी में वेटिंग पीरियड 15 दिन का भी होता है।

Pre Existing Diseases के लिए Waiting Period

अगर हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेने के दिन आपको कोई बीमारी है और आप उस बीमारी के ईलाज के लिए हॉस्पिटलाईज होते हो तो आपको हैल्थ इंश्योरेंश पॉलिसी के तहत आपको क्लेम नहीं मिलेगा। यह अवधि पॉलिसी लेने के सुरूवाती 3 या 4 सालों तक अलग-अलग कम्पनी की पॉलिसी के अनुसार लागू होती है।

कैशलैस सुविधा के लिए आपनी हेल्थ इंश्योरेंस कम्पनी के नेटवर्क हॉस्पिटलों के बारे जरूर जानें

आपको हेल्थ इंश्योरेंस कराने से पहले यह जरूर जानना चाहिए कि आपके अपने शहर में उस कम्पनी के कितने नेटवर्क हॉस्पिटल हैं। ताकि आपको जब भी ईलाज कराने की जरूरत पड़े तो आपको कैशलैश क्लेम मिल सके और आपको जेब से पैसा नहीं देना पड़े।

अगर आपकी हेल्थ इंश्योरेंस कम्पनी के नेटवर्क हॉस्पिटलों की संख्या आपके शहर में कम है आपको कैशलैश सुविधा का लाभ नहीं मिलेगा। आप अपने ईलाज का खर्च बाद में बिल क्लेम कर इंश्योरेंस कम्पनी से ले सकते हैं। बेहतर तो यही होगा कि आप ऐसी कम्पनी से हेल्थ इंश्योरेंस खरीदें जिसके पास अपने हॉस्पिटलों का एक बड़ा नेटवर्क हो।

Free Health Checkup सुविधा

अधिकतर कम्पनीयां अपनी पॉलिसी में आपको साल में एक बार फ्री हेल्थ चैंकअप की सुविधा प्रदान करती हैं। ताकि आप साल में कम से कम एक बार अपनी मेडिकल जाँच करवा कर स्वयं को होने वाली संभावित स्वास्थ्य समस्या का पता लगा सकें। अगर इस मेडिकल जाँच में आपको किसी बीमारी का पता लगता है तो आप समय पर उसका ईलाज करा सकते हैं।

अपने हेल्थ इंश्योरेंस में बेहतर सेवा और सुविधा के लिए निम्न बिन्दुओं पर ध्यान दें

  1. आप Floater Plan ले या Individual लेना है?
  2. अपना हेल्थ इंश्योरेंस प्लान सरकारी कम्पनी से लें या प्राईवेट कम्पनी से?
  3. आपको बेसिक कवर और सुपर टॉप-अप कितने का चाहिए?
  4. रूम रेंट कंडीशन की जाँच करें।
  5. विभिन्न बीमारियों में लगने वाली Sub- Limit के बारे में पता करें।
  6. को-पेय कंडीशन की जाँच करें।
  7. आपकी पॉलिसी जोनल है या पेन इंडिया इसका पता करें।
  8. अपने हेल्थ इंश्योरेंस प्लान में मिलने वाली प्री और पोस्ट हॉस्पिटलाईजेशन सुविधा को जानें।
  9. क्या आपकी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी डे-केयर की सुविधा देती है?
  10. क्या आपको अपने हेल्थ इंश्योरेंस प्लान में आयुष और कॉस्मेटिक ट्रिटमैंट सुविधा चाहिए?
  11. अपनी पॉलिसी में वेटिंग पीरियड का पता करें।
  12. क्या आपको नो क्लेम बोनस मिलेगा?
  13. हेल्थ इंश्योरेंस कम्पनी के नेटवर्क हॉस्पिटलों का पता करें।
  14. क्या आपको अपनी पॉलिसी में ऐंम्बुलेंश सुविधा चाहिए?
  15. क्या आपको अपनी पॉलिसी में फ्री हेल्थ चैंकअप की सुविधा चाहिए?

अपने लिए बेस्ट हेल्थ इंश्योरेंस प्लान कैसे खोजें

दोस्तों आप दो तरीकों से अपने लिए हेल्थ इंश्योरेंस प्लान खरीद सकते हैं। पहला ऑनलाइन और दूसरा किसी एजेंट की सहायता से। यह पूरी तरह से आपकी इच्छा पर निर्भर करता है कि आप किस माध्यम से हेल्थ इंश्योरेंस प्लान खरीदना चाहते हैं।

अगर आप हमारे माध्यम से अपने लिए एक अच्छी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेना चाहते हैं तो आप हमें +91 7830232888 पर Whatsapp कर सकते हैं।

चुंकि अब आप यह ठीक से जान गये होंगे कि अपने लिए एक अच्छा हेल्थ इंश्योरेंस किस प्रकार लिया जा सकता है, तो हम आपको यही राय देंगे कि अपने और अपने परिवार जनों के लिए हेल्थ इंश्योरेंस प्लान जरूर लें।

दोस्तों उक्त आलेख को लिखने के लिए Labour Law Advisor के मनदीप जी के यूट्यूब वीडियो का प्रयोग जानकारी के स्रोत के रूप में किया गया है। हम उनका धन्यवाद करना चाहेंगे कि उन्होंने हम सबके लिए इतनी उपयोगी जानकारी उपलब्ध करायी है।

तो दोस्तों आपको “हेल्थ इंश्योरेंस से सम्बन्धित” यह जानकारी कैसी लगी हमें कमेंट बॉक्स में लिखकर जरूर बताईये।

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आलेख:

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