लोकल के लिए वोकल बनना है | To be a vocal for local | Local ke liye vocal banana hai

मई 12, 2020 को रात्री 8 बजे के अपने संबोधन में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा देश के किसानों, मजदूरों, छोटे उद्योगों एवं उद्यमियों के लिए 20 लाख करोड़ के बड़े राहत पैकेज के ऐलान के साथ ही देश को एक नया नारा दिया गया कि अपने ‘‘लोकल के लिए वोकल बनना है’’

आज के इस आलेख में हम जानेंगे कि ‘‘लोकल के लिए वोकल बनना है’’ के हमारे लिए क्या मायने हैं। लोकल को वोकल बनाने का क्या अर्थ या मतलब है। हम किस प्रकार लोकल को वोकल बनायें। लोकल को वोकल बनाने से किस प्रकार हमें, समाज, हमारे देश और हमारी अर्थ व्यवस्था को फायदा होगा। स्थानीय अर्थात लोकल उद्योगों को इससे कैसे बढ़ावा मिलेगा आदि।

कोरोना महामारी के इस दौर में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने मंगलवार 12 मई, 2020 की रात्री 8 बजे देश के लिए 20 लाख करोड़ रूपये के एक आर्थिक पैंकेज की घोषणा की है। यह आर्थिक पैंकेज भारत के करोड़ो गरीब मजदूरों, किसानों, श्रमिकों, मध्यम वर्ग, छोटे उद्यमों तथा उद्यमियों के लिए भारत सरकार द्वारा प्रदान किया जायेगा।

इसका लाभ आने वाले दिनों में किस प्रकार से मिलेगा अभी इसकी जानकारी स्पष्ट नहीं है। लेकिल प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने कहा कि जल्दी ही इसकी जानकारी भी भारत सरकार की वित्तमंत्री द्वारा प्रदान की जायेगी। आशा है कि सरकार के इस निर्णय से भारत की अर्थ व्यवस्था को आने वाले दिनों में एक नई ऊर्जा और बल मिलेगा।

प्रधानमंत्री मोदी जी ने दिया लोकल के लिए वोकल बनने का नया नारा

अपने संबोधन में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने आने वाले दिनों में भारत को आत्मनिर्भर बनाने की बात कही। इसके लिए देश को लोगों में आत्मनिर्भता, आत्मबल, आत्मविश्वास को जगाने संदेश भी दिया गया। उन्होंने कोरोना महामारी के दौरान आवश्यक सेवाओं की आपूर्ती के लिए लोकल उत्पादों, सेवाओं व लोकल सहायता के महत्व की प्रसंशा की तथा लोकल के महत्व को देश की जनता के साथ साझा किया।

प्रधानमंत्री ने माना कि, लोकल उत्पादों, लोकल सेवाओं, स्थानीय किसानों ने कोरोना महामारी के इस संकट काल में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। भविष्य के भारत के लिए तथा किसी भी कठिन परिस्थिति से निपटने के लिए भारत को अब सभी आवश्यक एवं दैनिक उपयोग की हर जरूरत की वस्तु का उत्पादन लोकल स्तर पर करना होगा।

लोकल के लिए वोकल बनने का शाब्दिक अर्थ

लोकल के लिए वोकल बनने का अर्थ है कि, दैनिक उपयोग एवं आवश्यकता की हर उस वस्तु का उत्पादन स्थानीय स्तर पर किया जाय, जिसके लिए हम किसी दूसरे देश या मल्टीनेशनल कम्पनियों से आयातिक वस्तुओं पर निर्भर हैं। अथवा जिसके लिए हम बड़े ब्रांडों पर ही भरोसा करते हैं।

प्रधानमंत्री द्वारा दिया गया यह नारा सरकार की थ्क्प् पॉलिसी के इतर भारत के स्थानीय उत्पादों, उद्यमियों एवं उद्योगों को बल देने वाला है। यह इस बात का भी स्पष्ट संकेत है कि कोरोना महामारी के बाद भारत सरकार अपने देश को उत्पादन के हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की ओर बड़े फैसले लेकर आ सकती है। जिससे स्थानीय स्तर पर रोजगार की संभावनायें बढ़ने की संभावनायें हैं।

प्रदेश सरकारें कर रही हैं स्थानीय स्तर पर रोजगार देने की तैयारी

कोरोना महामारी के कारण देश भर से प्रवासी मजदूर, श्रमिक एवं नौकरी पेशा लोग अपने गृह राज्यों में अपने गाँवों की ओर लैट रहे हैं। यह वह लोग हैं जो अपनी आजीविका की तलाश में कभी अपने गाँवों से दूसरे राज्यों में अथवा नगरों व महानगरों में रोजी रोटी के लिए पलायन कर गये थे। लेकिन आज की इस कठिन घड़ी में सह सभी अपने घर एवं अपने गाँवों में आने के लिए आतुर हैं।

विभिन्न प्रदेश सरकारें प्रवासी मजदूर, श्रमिक एवं नौकरी पेशा लोगों की इस वापसी को एक स्वर्णिम अवसर के रूप में देख रही हैं। कोरोना महामारी के पहले जो सरकारें करोड़ो रूपया खर्च करने के बाद भी अपने राज्य से हो रहे पलायन को रोकने में कामयाब नहीं हो सकी, ऐसे राज्यों के लिए कोरोना महामारी का यह दौर एक नई संभावना एवं अवसर लेकर आया है। जिहाजा इस अवसर को प्रदेश सरकारें गवाना नहीं चाहती हैं।

‘‘लोकल के लिए वोकल बनना है’’ के बाद की संभावनाओं का फायदा कैसे उठायें

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा दिया गया नारा ‘‘लोकल के लिए वोकल बनना है’’ प्रवासी मजदूर, श्रमिक एवं नौकरी पेशा लोगों के साथ ही स्थानीय किसानों, उद्यमियों एवं उत्पादकों के लिए कयी संभावनाओं एवं अवसरों की ओर संकेत कर रहा है। इसके लिए जरूरत केवल इतनी है कि हम अपने लि उपयुक्त स्थानीय स्वरोजगार, उद्यम एवं कार्य का समय पर चुनाव कर लें।

इसके लिए आपको अपने स्थानीय स्तर पर उनलब्ध संसाधनों, संभावनाओं एवं अपनी सफलता का आंकलन करना होगा। जिसे आप आसानी से स्वयं कर सकते हैं। यदि आप इस कार्य को पूरी निष्ठा और ईमानदारी से करते हैं तो निश्चित ही आप अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल हो सकते हैं। हम आपको अपने अनुकूल उद्यम का चुनाव करने के कुछ सुझाव देना चाहते हैं। जिनकों आप एक छोटो रूप से सुरू कर भविष्य में एक बड़े उद्योग के रूप में स्थापित कर सकते हैं।

डेरी व्यवसाय

भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में डेरी व्यवसाय की अपार संभावनायें हैं। इसकी डिमांड दिन प्रतिदिन आसमान छू रही है। यदि राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड की वेबसाइट में प्रदर्शित भारत में वित्तीय वर्ष 2014-15 से 2018-19 तक दुग्ध उत्पादन के आंकड़ों का विश्लेषण किया जाय तो भारत में प्रतिवर्ष औसत लगभग 10 मिलियन टन की गति से दुग्ध उत्पादन बढ़ रहा है।

यह आंकड़ा बताता है कि, आने वाले भविष्य में भी डेरी व्यवसाय नये उद्यमियों के लिए अपार संभावनायें लेकर आया है। इस क्षेत्र में हुआ तकनीकी विकास डेरी व्यवसाय को और भी आसान एवं सुगम बनायेगा। राज्य सरकारों द्वारा डेरी व्यवसाय को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न योजनाओं का संचालन भी किया जा रहा है।

पशु पालन

भारत जैसे कृषि प्रधान देश में पशु पालन पारम्परिक रूप से कृषि के साथ होता आया है। इसके साथ ही यह भी माना जाता है कि बिना पशुओं के कृषि कार्य संभव नहीं है। आज के समय में यदि पशु पालन को व्यवसाय के रूप में किया जाय तो इससे अच्छा मुनाफा भी कमाया जा सकता है। बकरी पालन, भेड़ पालन आदि वह व्यवसाय हैं जिन्हें अपनाया जा सकता है।

एकीकृत कृषि

भारत में एकीकृत कृषि तकनीक किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती है। इस तकनीक की खासियत यह है कि, किसान अपनी इच्छानुसार विभिन्न कृषि से जुड़े व्यवसायों को एक साथ अपना कर वर्ष के बारों महिने आय अर्जित कर सकता है। एकीकृत कृषि को प्रारंभ करने से पहले किसान या उद्यमि द्वारा अपनी भौगोलिक परिस्थिति, संसाधनों की उपलब्धता क्षेत्रीय मांग के आधार पर कृषि आधारित एवं कृषि के समानांतर व्यवसायों को चुना जाता है।

इसका सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि किसान अथवा उद्यमियों के पास पूरे वर्ष में कोई न कोई ऐसा उत्पाद उपलब्ध होता है, जिसको वह स्वयं के प्रयोग के साथ ही आय अर्जन के लिए स्थानीय स्तर पर बेच सकता है।

कृषि उत्पादों की मूल्य वृद्धि

हमारे किसान भाई या उद्यमी अमूमन अपने उत्पादों को उसी रूप में बाजार में बेच देते हैं, जिस रूप में वह उस उत्पाद या वस्तु का उत्पादन करते हैं। एक ही समय में बाजार में एक से उत्पादों के पहुँचने के कारण संबंधित उत्पाद या वस्तु के दामों में भारी गिरावट देखने को मिलती है। परिणाम स्वरूप किसानों को उनके उत्पादों का वह मूल्य नहीं मिल पाता है जो उन्हें मिलना चाहिए।

इस समस्या से बचने के लिए किसानों एवं उद्यमियों को अपने उत्पादों की मूल्य वृद्धि की ओर विचार करना चाहिए। इसे नीचे दिये गये उदाहरणों से आसानी से समझा जा सकता है-

दुग्ध उत्पादक अपने दूध से क्रीम, घी, निकाल कर दूध बेच सकते हैं। वह उस दूध से पनीर, दही, छाँछ या लस्सी बनाकर बेच सकते हैं। आप देखेंगे कि दूध के मुकाबले दूध से बने उत्पादों से अधिक आय होगी।

फल उत्पादक किसान अपने उच्च श्रेणी के फलों को बाजार बेचने के साथ ही निम्न श्रेणी के फलों से जूस, जैली, पल्प, चटनी आदि उत्पाद बनाकार बेच सकते हैं।

किन्तु इसके लिए किसान को आवश्यक प्रशिक्षण एवं तकनीकी महारथ प्राप्त करनी होगी। यदि किसान चाहे तो यह कार्य आसानी से कर सकता है।

ऐसे ही बहुत सारे उद्यम हैं जिनको स्थानीय स्तर पर किया जा सकता है। यदि आप किसी खास क्षेत्र में कार्य करने की सोच रहे हैं और उस विषय पर केंद्रित जानकारी चाहते हैं तो हमें नीचे दिये गये कमेंट बॉक्स में लिखें। हम पूरा प्रयास करेंगे कि संबंधित विषय पर आपके लिए जानकारी उपलब्ध करायें।

लोकल को वोकल बनाने का सपना कैसे साकार होगा

लोकल को वोकल बनाने का सपना तभी साकार होगा जब हम अपने लोकल के प्रति विश्वास करेंगे। इसके लिए उत्पादकों को भी अपनी गुणवत्ता एवं अपने उपभोक्ताओं की आवश्यकताओं का विशेष ध्यान रखना होगा। सरकारों की ओर से लोकल उत्पादकों को लोकल मैनीफैंचरिग में आवश्यक आर्थिक सहयोग, लोकल मार्केट बनाने, लोकल सप्लाई चेन तैयार करने में सहायता करनी होगी।

सरकारों को लोकल उद्यमियों के लिए संचालित योजनाओं का क्रियांवयन ईमानदारी एवं समानता से करना होगा। इसके इतर बैंक को स्थानीय स्तर पर लोकल व्यवसायों को ऋण देने के नियमों को आसान करना होगा। इसके साथ ही बैंकों से लोन लेने वाले उद्यमियों को भी ईमानदारी से ऋण की रकम बैंकों को वापस करनी होगी।

लोकल को वोकल बनाने का सपना तभी साकार होगा जब हर स्तर पर एक दूसरे का सहयोग किया जाय, यह सहयोग भारत को आत्मनिर्भर बनाने के संकल्प के साथ हो और यह संकल्प हमेशा हमें याद हो कि हमें अब आत्मनिर्भर बनना है।

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